बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट आने वाला है. गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है. यह 568 किलोमीटर लंबा 6-लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा, जिसमें से 73% यानी 417 किलोमीटर का हिस्सा बिहार में बनाया जाएगा. यह एक्सप्रेसवे सीमांचल और उत्तर बिहार के आठ जिलों से होकर गुजरेगा और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जिलों को भी जोड़ेगा. आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट की खासियतें और इसका महत्व.

बिहार के लिए बड़ा बदलाव
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार के आठ जिलों से होकर गुजरेगा, जिसमें उत्तर बिहार और सीमांचल क्षेत्र शामिल हैं. यह प्रोजेक्ट राज्य में आवागमन को बेहतर बनाएगा और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा. बिहार सरकार और केंद्र सरकार मिलकर इस प्रोजेक्ट को पूरा कर रही हैं, जिससे प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर का स्तर ऊंचा होगा.
यूपी वालों को भी होगा फायदा
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जिलों से होकर गुजरेगा, जिससे इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर होगी. यूपी के लोगों को न केवल तेज यात्रा का लाभ मिलेगा बल्कि व्यापार और पर्यटन में भी बढ़ोतरी होगी. गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे यूपी-बिहार के बीच एक मजबूत कड़ी बनेगा.
भारतमाला परियोजना का हिस्सा
यह एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना का हिस्सा है, जो देशभर में हाईवे नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई है. ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का मतलब है कि इसे नए रूट पर बनाया जाएगा, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी और यात्रा का समय बचेगा.
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
इस प्रोजेक्ट से सीमांचल क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. बेहतर कनेक्टिविटी से कृषि उत्पादों की आवाजाही तेज होगी, जिससे किसानों को फायदा होगा. इसके अलावा, पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान होगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.